गुरुवार, 8 मार्च 2018

महिला दिवस २०१८

नमस्कार,

हालचाल ठीके बा. २१ फरवरी से दमा की चपेट में रहलीं ह. अब ठीक होता. आज महाविद्यालय के व्हाट्स अप ग्रुप  में सूचना रहल ह कि आज राष्ट्रीय सेवा योजना की और से विश्व महिला दिवस मनावल जाई आ महाविद्यालय में कार्य रत डा. सरिता कुमारी की  कैंसर के  कारण असामयिक निधन पर श्रद्धांजलि दीहल जाई. हमहूँ कालेज चली गउइं.

सरिता जी के श्रद्धा सुमन अर्पित कईल गौउवे. सब लोग उनकी व्यक्तित्व की विशेषता के चर्चा करुये. आर्थिक रूप से उच्च स्तर के होखले के बावजूद यस. सी. से महिला के आयोग से प्रोफ़ेसर भइल अपने आप में बड़हन बाति रहे. जिज्ञासु स्वभाव के लोग अच्छा शिक्षक होला. हरदम कुछु जाने आ लिखेके कोशिश सरिता जी करत रहली. एक बेर कहली" दो महिलायें एक पुरुष को बेतरह चाहती हैं किन्तु दोनों मिलकर उस पुरुष की जिंदगी के नरक बना देली" (सास और बहू ).

आज महिला दिवस पर कारपोरेट की प्रचार की कारण सब महिला लोग के बधाई देता शुभकामना देता. उपहार देता. बाहर जाके बढ़िया खाना खा लेता. ट महिला दिवस पर कुछु कमाई बढ़ी जाई.भारत के पढ़ल लिखल लोग जौना में हमहूँ हइ. शाब्दिक अर्थ की हिसाब से सामान्य ज्ञान के प्रयोग का के काम चला लेला. एसे ई होला की हमनीका लाल बुझक्कड़ होक रही जिले जा.

अब बताईं कि महिला पुरुष के समाज में एके स्थिति बा. एक तरह के अधिकार बा. एके समान मजदूरी बा. घर में पानी मांगे के हो त केसे कहल जाला. अबो तमाम लोग बा जे मानेला की मेहरारुन के बुद्धि ना होला. उनुका गणित ना आवेला. त्रिया चरित्र के बात लोग कहत रहेला. पुरुष के चरित्र में उहे बाति बड़ाई हो जाई महिला खातिर बाउर. त महिला आ पुरुष अपनी अपनी मन में  झांकि के देखे कि का करेके चाही. तब शायद सबका कुछु अजोर होई. एकरी ख्जातिर ई जाने के परी की देश विदेश की मेहरारुन के का समस्या बा आ ओकर समाधान के खोज पूरी दुनिया के लोग कौनी तरह से करता.

अखबार, टी वी , सोसल मीडिया के पहुँच अबे बहुत कम लोग तक बा. पढ़ल लोग परीक्षा तक के पढ़ाई तक से मतलब राखेला. अबे त हमनीका अपनी अधिकार की बारे में जानते नईखी जां त महिला की बारे में कैसे सोचल जाई. लेकिन ४७ से १८ तक आवत आवत भारत में तस्वीर बहुत बदली गइल बा. बाकी, प्रधान पति और प्रधान पुत्र के रुक्का अब्बो चलता. एसे हाकिम लोग के भी फ़ायदा बा आ राज दल की नेता लोग के भी.

आज बिहाने से हमरी दिमाग में काम वाली दाई लोग के चेहरा नाचता. स्कूटी पर सवार वर्किंग क्लास के महिला, तथा पढ़े जाये वाली लड़की लोग के चेहरा भी आवता. पूना की निर्माणाधीन बिल्डिंग में अपनी लइकन के लेके काम करे वाली महिला के चित्र भी घूमता. सड़ाक पर गिट्टी फेंकत महिला के चित्र भी बा.  गाँव देहात ,में खेत में मजूरी करे वाली महिला के चित्र भी बा. अपनी चचेरी दादी, माता. बहन पत्नी, बेटी सबकर चित्र सामने नाचता. कहाँ से समता समानता आई. अबे लड़ाई भारी बा.

सबका आपन आपन लड़ाई लड़के पड़ी. अशिक्षा से लड़ाई, अंधविश्वास से लड़ाई, समानता की अधिकार के लड़ाई, मजूरी के लड़ाई. मानव बनला के लड़ाई.

जब सब जागे लागल त राजतन्त्र गईल , असमानता भी जाई, लागल रहे के चाही.

ए.बी.ए. देर हो गईल.

फेरु भेंट होई.
नमस्कार,

मंगलवार, 16 जनवरी 2018

मौनी अमवसा

नमस्कार,
हालि चालि ठीक बा,खिचड़ी निमने निमने बीति गईल. आजु मौनी अमवसा ह माने माघ के अमावसा. पहिले गांव में एगो दूर के फूआ अईली आ माघ में पूरा महीना चुपचाप उठिके नहा छू के तब बोले के बात माई के सिखा गईली. तब हमनीका माई कहींजा. बाद में अम्मा कहे लगली जा. तब माने सन साठि की ऊपर नीचे. बाद में देउरिआ (देवरिया उ.प्र.) अन्तर्राष्ट्रीय विश्व भोजपुरी सम्मेलन हो गईल आ अब त यम ए में  भोजपुरी के पर्चा बा. बनारस की बीयचयू में हिन्दी के बोलबाला बा. कबो कबो लागेला की एकर व्याकरण कईसे बनी ई त चारि कोस माने मोटा मोटी बारह किलोमीटर में आपन रूप बदलि ले ले. बड़का पंडित लोग लागल बा त कुछु सोचले होई. बात बहकि गईल ह बात त मौनी अमवसा के होत रहल ह. आजु भारत देश में तमाम जगह नहान लागल होई. प्रयागराज (इलाहाबाद संगम ) में कल्पवासी लोग मौन नहान करेला. आस्था आ विश्वास के जुग बा ना त विश्वगुरु के सपना देखे वाला भारत विज्ञान में एतना पीछे काहे रहित.

उत्तर प्रदेश में एतनी घरी गोरखनाथ बाबा मठ के महन्थ जी प्रदेश के मुख्यमन्त्री बाड़े.  गोरखनाथ मन्दिर के खिचड़ी मेला प्रसिद्ध ह. पूर्वांचल के सब लोग जाने ला. असो गोरखपुर में बड़ी धूमधाम से गोरखपुर महोत्सव मनावल गईल ह. भारत के लोग चार्वाक के अऊरी बात चाहे मनले होखे चाहे नाहीं बाकी कर्जा काढ़ि के उत्सव मानावेके बाति पर जरूर अमल क लीहल. त सरकार का उत्सव मनावहि के चाही. लोगबाग ईहे कुलि चाहेला. कम्निस्टवा कुल ना खईह स ना खाये के जाने ने स. त ऊ हल्ला मचइबे करिहे स. सेकुलरवन का कुछु ना बुझाई त कहिंह स कि इन्सेफेलाइटिस से लईका मरताड़े स आ महोत्सव मनावल जाता. कुछु विद्वेषी जरत जरत कहताड़े स कि अबे लईकन के सुईटर ना बटाइल आरे लईकन के जाड़ कहीं छूवेला का. कुलि मिलाके गोरखपुर के खिचड़ी मेला जमी गईल रहित बाकी असो बहुते जाड़ा पड़ता.

ए माघ में मौन नहईला के महत्व ह. नहाके दान देके बोलला में कवनो हर्ज ना ह. खेती के कार ठप्पे रहेला कौड़ा के गलचऊर आ मेला के गलचऊर में मजा बा. शहर में नवका कउड़ा व्हाट्सप बनि गईल बा. एमे बड़ा गर्मी बा. अब अखबार टीवी सब फेल बा सब सोसल मीडिया पर जमल बा. ई नवका स्मार्ट फोन जबसे चलल बा बढ़्ते जाता. तरकारी के छोड़ि के डाटा पैक किनाता. बस जौन मन करे तौन गुल छर्रा उड़ता. पिछला चुनाव से मोदी जी चुनाव के हाईटेक क दिहले. आप के आइआइटी के लोग बड़ा बनत रहे. अब ऊ लोग बिल्कुल फेल बा. मोदी जी के सगरी कार्यकर्ता दन दन दन दन सोसल मीडिया पर सुति की उठला से सुतले तक के बाति बतावत रहेला. सब पार्टी के लोग अबे सीखी सीखी तबले गुम हो जाई लो.

ए मौन वाला महीना में लगभग हरदम मौन रहेवाला सुप्रीम कोरट के चारि जज लोग बोल दीहल कि काम के बंट्वारा ठीक नईखे. अखबार टीवी त पीछे रहि गईल फोनवा गजब क दीहलसि. घंटा भरि में सब उदिया गुदिया हो गईल. कुछु लोग लगावे में लागल कुछु लोग बुझावे में लागल कुछु लोग जे समझदार रहे ऊ समझावे में लागल. बस एतना हो गईल की खूब राखी डालि के धधकल कऊड़ा के तोपि के लोग चलि दीहल. जे बाद में हाथ सेंके आईल ओकरा निराशा हाथ लागल.सब जज आ बड़्का वकील नेता लोग मिलि मामला सुलटा लिहल ह लोग.

ए मामला में एगो मामला जुड़ल रहल ह. एगो जज रहले नेवता में गईले. ओही जू का जाने कईसे मरी गईले की मारि गईलें. उनके साथी लोग उनुके बम्बई से ले गईल आ उनुकी गांवे पहुंचा दिहलस. कुछु दिन की बाद कुछु लोग के ना सहि गईल त  बोले लागल. फेरू हल्ला मचल. तले जज के लईका कही दिहलस की जौन भईल तौन भईल हमनी के चैन से जीये द लोग.

अब्बे ई चलते रहल तले फायरब्रांड माने अगियाबैताल नेता गायब हो गईलें. उनुकी रक्षा में देश के सबसे बड़्की सुरक्षा बल रहल बाकी ऊ ओ लोग के चकमा दे के गायब होके एगो अस्पताल में भर्ती होके कहतारे की लोग उनुके मुआवेके खोजता. अब देखी जे रोज मरे मारे के बाति कहत रहल ह, ऊहे मरले की डर से रोवत रहल ह.

ई चर्चा ए लिये करतानी की इ लोग आपन बाति ओ लोगनि से कहल जौन लोग हर बाति के दुनिया की कोना कोना में पहुंचा देला. अब ई नवका कऊड़ा वाला माने स्मार्ट फोन वाला लोग लागल बा. अब सब एतना डबरा हो गईल बा कुछऊ बुझाते नईखे.

औरु कुल हालि चालि रऊरा सभन की आसिर्वाद से ठीक बा. नजर बनवले रहबि सभे. फेरू भेंट होई. आजु बहुत दिन की बाद ई ब्लाग भेंटा गईल ह त २०१८ में खरवास की बाद रऊरा सभन से बाति हो गईल ह.

दुनु हाथ जोरि के नमस्कार.

शनिवार, 16 मई 2015

तारीख

तारीख
नमस्कार!
हालचाल ठीक बा आ ठीके चाही. आजु काल्हि कोरट कचहरी आ फैसला के बड़ा चरचा बा. लोग एने ओने आवत जात, कचहरी आ जज लोगनि की बारे में जेतना बतियावेला, लीखे की बेर चुपा जाला. लिखे की पहिले प्रमाण चाही. जवन प्रमाण लउकेला ओके केहु देखल ना चाहेला आ इहो चाहेला कि लोग के कमाई अन्थाप होखे. पहिले शहर में वकील लोगन के कोठी होत रहल . बिना कमाई के कोठी बनी ना. ए देश के एगो महान कोठी "आनन्द भवन" भी वकालत की कमाई पर बनल रहे. आजादी की लड़ाई से जुड़ि गइला की कारण उ पूजनीय आ दर्शनीय हो गईल.

बचपन में गांव में लोग अक्सर बतिआई कि तारीख पर गईल रहली ह, वकील, पेशकार के फीस आ भेंट दे के आ तारीख ले के चलि अइलीं ह. तारीख, फीस, भेंट आ तारीख एकर सिलसिला लगातार चलत रहेला. एतरे जब बहुत दिन बीति जाला त कुछु फाइन ओइन लागेला फेरु बहस आ फैसला. एगो विज्ञापन प्लाईवुड के देखले होखबि सभे कि एके मुकदिमा में सब बुढ़ा जाला.

पचीसन साल से ई हल्ला होला कि कोर्ट में हेतना मुकदिमा बा. बड़का हाकिम, वकील, मुख्तार, आयोग की आगे मुकदमा के ढेर लागल जात बा. तरह तरह के संकट आवत जाता लेकिन हल नइखे निकलत. लागता एहू खातिर अब कौनों विदेशी कम्पनी आई आ ठीका ले ली. जब वकील लोगन के कम्पनी बनि जाता त फैसला खातिर.......

सरकार चाहे त सालि भर में मुकदिमा की हिसाब से जज लोगन के नियुक्ति हो सकेला. एइसन व्य्वस्था हो सकेला कि पांचि सालि की अन्दर सबसे बड़्को कोर्ट से फैसला हो जाउ.

एहि बाति पर सिनेमा वाला हीरो के बाति मन परि गईल ह. पहिले पुलिस आ वकील साहब लोग खूब जोर लगावेला कि जमानत होई आकि ना होई. आखिर जमानत होइये जाला. बाकिर ओकर ना हो पावेला जे बड़का कोर्ट ना जा पावेला. हमरा त ई बुझाला कि जमानत त तहसील पर से ही हो जायेके चाहीं. जइसन धारा ओतने जमानतदार आ ओतने रूपया.

जब हीरो के सजा भईल तबे ई कहा गईल रहित की आगे मुकदिमा करेके होखे त हेतना जमानतदार आ हेतना रूपया जमा क के जमानत ले ल, आ दू महीना की अन्दर जाके बड़का कोर्ट में मुकदिमा कर, आ नाहीं त सजा भुगत. त जेतना हंगामा भईल ऊ ना होईत. इ जरूर भईल की बड़्का वकील लोगन के मोट फीस मिल गईल.

भारत में लोकतंत्र बा बाकिर लोकतंत्र बहाल भईला की बाद भी कोर्ट कचहरी में लोकतंत्र के किरण अबे पहुंचल नईखे. सरकार में बहुत बड़्का बड़का वकील लोग बा. ऊ लोग कबो ना चाहेला कि सबके न्याय मिले. गरीब लोग तारीख पर झूलि के मरि जाई आ अमीर लोग तारीख की सहारे जी जाई. बड़्का वकील के कोठी चमकि जाई. लोकतंत्र के गटई नपा जाई.

फेरू भेट होई.
नमस्कार.

सोमवार, 12 जनवरी 2015

ढाई घरी के सपना

ढाई घरी के सपना
नमस्कार!

हालिचालि ठीक बा, शीतलहर चलता. रजनिति गरम बा. गान्धी जी शौचालय ले सीमित बाने. जाड़ा में घर शौचालय होखे. गरम पानी होखे. इनर होखे,  हीटर होखे.  फेसबुक आ ब्लाग होखे त ना मनोरंजन दूर बा ना व्यंजन. बाकी बिजली आ इन्टरनेट त चहबे करी.

आजु फेसबुक पर दू महारथी कहलनि ह कि अंग्रेजी के देवनागरी लिपि में लिखल जाई. लोग बड़ा खुश भईल हमरो नीक लागल ह.

बाकी दू गो शंका उठल बा एगो बड़हन बा आ एगो छोट बा.

बड़का शंका ई बा कि अबे त देवनागरी लिखे खातिर, गूगल, प्रमुख, मंगल आदि आदि के सहारा लिया ता. त जब अंग्रेजी के देवनागरी में लिखल जाई त ऊहो रोमन में ही लिखाई त रोमन से गर ना छूटी.

जब हमनीका छठवीं में पढ़े लगलीं जा त अंग्रेजी के पढ़ाई शुरु भईल. Rat - रैट- (रैट माने) चूहा. ए तरे. अंग्रेजी बोले के त ऐबे ना करे. ट्रान्सलेशन आ ग्रामर, प्रोज, पोइट्री के अर्थ आ रटुआ एसे. इन्टर ले काम चलि गईल. अगली पढाई अंग्रेजी में शुरु हो गईल. पढ़े लिखे के त आ जा बाकी बोले के अजु ले ना आइल.

ए देश के कुछु लोग जरिये से अंग्रेजी माध्यम से पढ़्ले बा हमरा बुझाता कि ओही लोगन की दिमाग में अंग्रेजी के देवनागरी में लिखे के बति आइल ह. हमनीका त अब्बो देवनागरी की भरोसे ही अंग्रेजी पढ तानी जा.

कुछु दिन से मन में ई विचार आवता कि अंग्रेजी के भाषा की रूप में अलग से सबके पढ़ावल जा. ओके बोले के सिखावल जा बाकी पढ़ाई के माध्यम मातृभाषा ही रहे के चाही.

पुरनका जमाना के लोग अपनी अपनी क्षेत्र में भाषा आ लिपि के विकास कईल. सबमें कुछु कमी बा कुछु विशेषता बा. अब जब पूरा विश्व एगो गांव हो गईल. "वसुधैव कुटुम्बकम" भी अच्छा नारा ह. ज्ञान विज्ञान एतना आगे बा.

त एगो नया भाषा आ नया लिपि के आविष्कार होखे के चाही. तब्बे " वसुधैव कुटुम्बकम" आ "ग्लोबल विलेज" होई. जब सब एके साथे एके भाषा आ लिपि में समान रूप से ज्ञान पाई. 

नमस्कार.
फेरू भेंट होई.

मंगलवार, 4 नवंबर 2014

कोदो आ पढ़ाई

कोदो आ पढ़ाई
नमस्कार! 
हालिचालि ठीक बा. तिहवार आ मेला के दिन बा. गांवन में कटिया आ बोआई के समय में लोग के संवठ नईखे मिलत बाकी सब कुछु एही में चलत बा. काल्हि पुर्नवासी की मेला के बटोर ह आ परसो नहान. ट्रेन, बस आ जीप-कार की जमाना में बटोर अब ओतना नईखे होत बाकी जेकरा सबेरे नहायेके बा ऊ त जईबे करी. कुछु लोग मेलहा होला ऊ मेला में जरूर जाला चाहे नियरा की मेला जा चाहे दूर की मेला. हमरी गांव से कुछु दूर पर सरयू नदी की किनारे भागलपुर में नहान के मेला अबो लागेला. बचपन में गांव से मुन्हारे पैदले चलि के बिहान होत होत नहान. नहान की बाद कुछु छू के (दान देकर) जिलेबी के जलपान आ घर खातिर ललकी हरियरकी चीनी के बर्फी देखि के जीव ललचि जाई. लकठा, गट्टा आ मिठाई ले के कुछु घूमि घामि के लोग गांव की ओर चली. रस्ता भर बहस होई आ लईकन  से भी पूछि-ताछ होई. जे बहस में कमजोर परी ओके लोग कही " कोदो दे के पढ़ले बाड़" का.

कोदो सूखा क्षेत्र में पैदा होवे वाला घास जईसन अन्न ह जेकर गोल-गोल चाउर होला. ओ जमाना में कोदो सबसे सस्ता अनाज मानल जात रहे. लोग जेके ना तेके इहे कहे कि कोदो देके पढ़ले बाड़ का. धनी लोग धन की बल पर अपनी लइकन के पढ़ाले आ ई ना चाहे कि सब केहु पढ़ि पावे. इ मानसिकता अब्बो बनल बा जेकरी लगे जेतना कमाई बा ओकर लईका ओतने बड़्हन स्कूल में पढ़ेला. जब विदेसन से दबाव पड़े लागल आ अनुदान मिले लागल त स्कूल खुले लगलन स बाकी सरकार अबले अपनी बल पर सबके पढ़ाई के व्यवस्था नईखे क पवले. नेता लोग स्कूल खोलि के वोट के जोगाड़ करेला आ व्यवसायी लोग विज्ञापन की खातिर स्कूल खोले लागल. बाद में अनुदान आ घपलेबाजी से कमाई होखे लागल त अब शिक्षा एगो व्यवसाय के सेक्टर हो गईल बा पईसावाला लोग अब साबुन, तेल, पानी, शिक्षा आ चिकित्सा सबसे कमायेके हैसाब लगाके ध ले ले बा. देश के पूंजीपति लोग शिक्षानीति भी बनावत बा. विदेशी लोग भी इहां आके लोगन के गाढी कमाई लूटे तैयारी क ले ले बा.

ई सब ए लिये होता कि भारत के लोग ई मानि के चलता कि लईका के पढ़ावल ओकर निजी काम ह. एमे सरकार के कुछु काम नईखे. सरकार जेतना पैसा जहां भी खर्च करता उ देश की सवा सौ करोड़ जनता के पिसा ह. जब ऊ पैसा सबकर ह त देश की हर नौनिहाल के ई अधिकार ह कि ओकरा में जवन विशेषता बा ओके विकास के अवसर मिलेके चाही जेसे समाज के लाभ हो सके.

सबके एक समान शिक्षा के व्यवस्था से साम्यवाद या समाजवाद से कुछु लेबे देबे के नईखे. ई लोकतंत्र  के कसौटी ह कि सबकी पढ़ाई आ स्वास्थ्य के व्यवस्था सर्वजनिक धन यानी कि राजकोष से होखे. नवका अर्थशास्त्री लोग सबके शिक्षा आ स्वास्थ्य की पक्ष में नईखे. दुख आ सोचेवाली बाति ई बा कि जे तनिको कमाता ऊ सरकारी स्कूल से अपनी लईका के हटा लेता. सवा सौ करोड़ की देश के सब लईकन की प्राथमिक  शिक्षा के ईहालि बा कि ना स्कूल बा, ना मास्टर बाने ना किताब ना कापी . बड़ा बड़ा योजना के नाम बताइ लोग जब ई लेख पढ़ी बाकी बड़्की बिल्डिंग आ फीसि वाला स्कूल के मास्टर लोग प्रशिक्षित नईखे.

चालीस साल से देश में खाली कुर्सी के लड़ाई चलता. देश की गरीब आ मध्यवर्ग के हितैसी बनि के उनुकी पिठि में छूरा भोंकाता. 

त देश के सब लोगन का ई सोचे के चाही कि सब लईकन के पढ़ेके आ बढ़ेगे अवसर तब्बे मिली जब सबके हर स्तर के शिक्षा के नि;शुल्क  व्यवस्था जनता माने सरकार की हाथ में होई.

एही खातिर जनता के जगावे आ सरकार के खबरदार करे खातिर दू नवम्बर से ईरोम शर्मिला की लग से आ बाकी  देश की सगरी ओर से शिक्षा अधिकार मंच के शिक्षा संघर्ष यात्रा २०१४ चलि के चार दिसम्बर के भोपाल पहुंची.

त देश सगरी लोगन का सोचे के चाही की भारत के सवा करोड़ जनता की देश के नौनिहाल कबले भीखि, कर्जा , दान आ दूसरे की आसरा पर पढ़िहें. अब पढ़ाई खातिर गहना आ खेत ना बिकाये के चाहीं. अब मां, पिता, बहन या भाई की कमाई ना तय करी की लईका का पढ़ी. लईका के योग्यता, क्षमता तय करी की ऊ का पढ़ी.

नमस्कार!
फेरू भेंट होई.




शनिवार, 12 जुलाई 2014

मेघा सारे पानी दे!

नमस्कार!
हालिचालि के का कहीं सूखा परि गईल. जौने राजा की आवते सूखा परि जा त किसान त पिसाइये जाई. बरखा त नाहिंये होता, गरमी आ बीमारी दुनू बढ़्ले जाता. आजु काल्हि पर्यावरण उपराइल बा इहे बरखा नईखे होखे देत.

राजा जनक की जमाना में सूखा आ अकाल परल रहे त ऊ हर चलवने त सीता जी मिलली आ पानी भी बरसल. अबो तमाम गांवन में मरद लोग बैल की जगह हो जाला आ मेहरारु हल चला वेली . कुछु लोग इनार (कुंआ)  की जगत के शिव जी के इनार में लटका देला. अखंड हरिकीर्तन, रूद्राभिषेक, आदि की साथे साथे मजदूर वर्ग  नंग धड़ंग लईकन के टोली पूरा गांव की लोग की दुआर पर जाई घर में से या कुंआ मेंसे पानी ला ला के जमीन  पर गिरावल जाई टोली ओमें लोटि लोटि के नारा लगाई जवना के अन्त होई...........मेघा सारे पानी दे.

अब मौसम विभाग बा ऊ पूरा देश की मौसम के देख रेख करेला. ई बड़े आदमी लोगनि के विभाग ह. हवाई जहाज, पानी के जहाज की खातिर तात्कालिक मौसम के जानकारी देला. बरखा के जानकारी किसान की खातिर भी लाभप्रद होला् बाकीअपनी भारत में अबे खेती की काम लायक मौसम क्षेत्र के बंट्वारा नईखे भईल. अगर भईलो बा त ओकर सूचना ठीक ठाक नईखे.

अब किसान की सामने तरह  तरह के संकट आ गईल बा. सरकार के योजना, मूल्यांकन में एतना समय बीति जाला कि जबले प्रबन्ध होला तबले समस्या ना रहेले आ सब धन बंदरबांट  मे चलि जाला. सगरी लोग ई कहानी फईला देले बा कि जबले ऊपर कुछु दियाई ना तले पईसा नीचे आई ना. पईसा खाये वाला लोग जोंकि ह ऊ जे के पकड़ि ली ऊ सब खुन चुसि के छोड़ी. ई अफवाह ह कि सच ह कुछु कहल ना जा सकेला. सीधे कौनों गवाह ना मिली आ परिस्थिति जन्य साक्ष्य के के मानी. जब चचेरा भाई करोड़ रूपया घर में फेंकि के चलिजाता त कुछु हो सकेला.

कथा गईल बन में, सोच अपनि मन में.
फेरू भेंट होई.
नमस्कार.




मंगलवार, 8 जुलाई 2014

अघाइल लोग

नमस्कार!
हालिचालि ठीके बा. एतनी घरी लोग आम खा के अघा जात रहल ह. बाकी अब त सब बारी कटी गईली स. लोग कीनि के आसेर पाभर आम खा लेता आ अघा जाता.
केजरीवाल की आन्दोलन की बाद मीडिया वाला लोग मध्यवर्ग के "खाने अघाने" वाला लोग चर्चा शुरु कईल अब इ शब्द चलि गईल बा.
मीडिया में काम करे वाला लोग के वेतन आदि के बडी समस्या बा. नाम बहुत बा, बड़्का लोग की बीच में उठे बैठे के बा. पत्रकार लोग के भी घोषित अघोषित तरह तरह के लाभ मिलि जाला बाकि ओंगा ना मिलेला जईसे सरकारी नोकरी में बा.
आजु काल्हि त चपरासी के नोकरि भी  दस लाख में बिकाता. सेना आ पुलिस के नोकरी भी बिकाता. सब बिकाता कुछु नईखे बिकात. जे नईखे बिकात ऊहो सिफारिस  आदि आदि की मजबूरी में बा. जे कुछु ना सुनेला ओके केहू ना पुछेला.

बाति तनिके में एने-ओने चलि जाले. हम खईले आ अघईले के बात करत रहली ह. जे मेहनत कके खायेके जुटाले ऊ खाईल मध्यवर्ग ह. जे ऊपरी आमदनी से पावेला ऊ अघा जाला. जे टैक्स चोरावेला ऊ अघा जाला.
अघाईल लोग आन्दोलन ना करेला.
जे के मेहनति कईला की बाद भी सामान्य जीवन स्तर नामिलि पावेला ऊ हे आन्दोलन क सकेला. भारत के अधिकाधिक लोग बहुत आलसी होला. एकर फायदा सब उठावेला.

जवन लोग रोज रेल  टिकट की आरक्षण की परेशानी के बाति करत रहल ह अब बुलेट ट्रेन के  बाति करता. अब रेल सब समस्या खत्रम बा बुलेट ट्रेन आई आ सबके पहूंचाई.

तले योजना आ बाति से अघाईल रहीं सभे. जब अघाइले बानी त रऊरा से का होई?

नमस्कार. फेरू भेंट होई.